निकालूँ किस तरह सीने से अपने तीर-ए-जानाँ को By Sher << तुझ को ख़बर नहीं मगर इक स... वुसअत-ए-सहरा भी मुँह अपना... >> निकालूँ किस तरह सीने से अपने तीर-ए-जानाँ को न पैकाँ दिल को छोड़े है न दिल छोड़े है पैकाँ को how do i from my breast dislodge my love's arrow this barb doesn’t leave my heart nor does my heart let go Share on: