ऐ 'नूह' खुल चले थे वो हम से शब-ए-विसाल By Sher << मुझ से बच बच के चली है दु... हर साँस नई साँस है हर दिन... >> ऐ 'नूह' खुल चले थे वो हम से शब-ए-विसाल इतने में आफ़्ताब नुमूदार हो गया Share on: