ऐ 'नूह' न तर्क-ए-शाएरी हो By Sher << मुज़्तरिब हैं मौजें क्यूँ... हज़ार रस्ते तिरे हिज्र के... >> ऐ 'नूह' न तर्क-ए-शाएरी हो बे-कार-मबाश कुछ किया कर Share on: