नुमू के रब कभी उस मुंसिफ़ी की दाद तो दे By Sher << अँधेरी शाम थी बादल बरस न ... आँसू आँसू जिस ने दरिया पा... >> नुमू के रब कभी उस मुंसिफ़ी की दाद तो दे शजर कोई न लगाया समर समेटा है Share on: