पा-बोस-ए-यार की हमें हसरत है ऐ नसीम By Sher << मैं इसे शोहरत कहूँ या अपन... तुम तो कुछ ऐसे भूल गए हो ... >> पा-बोस-ए-यार की हमें हसरत है ऐ नसीम आहिस्ता आइओ तू हमारे मज़ार पर Share on: