पए दरयाफ़्त असरार-ए-हक़ीक़त सब हैं सरगर्दां By Sher << समझता हूँ वसीला मग़फ़िरत ... बज़्म-ए-अग़्यार में उस ने... >> पए दरयाफ़्त असरार-ए-हक़ीक़त सब हैं सरगर्दां फ़लक के पार लेकिन अक़्ल-ए-इंसानी नहीं जाती Share on: