पहाड़ भाँप रहा था मिरे इरादे को By Sher << ग़ुर्बत की ठंडी छाँव में ... तुझ से दिल में जो गिला था... >> पहाड़ भाँप रहा था मिरे इरादे को वो इस लिए भी कि तेशा मुझे उठाना था Share on: