पहुँचूँ मैं किस की कोहना हक़ीक़त को आज तक By Sher << अज़ाब-ए-मौज-ओ-तलातुम मुझे... लगा दी दौन इस जंगल को बस ... >> पहुँचूँ मैं किस की कोहना हक़ीक़त को आज तक 'इंशा' मुझे मिला नहीं अपना ही कुछ सुराग़ Share on: