पकड़े जाते हैं फ़रिश्तों के लिखे पर ना-हक़ By Sher << ज़िंदगी चुभ रही है काँटा ... रोज़ वो ख़्वाब में आते है... >> पकड़े जाते हैं फ़रिश्तों के लिखे पर ना-हक़ आदमी कोई हमारा दम-ए-तहरीर भी था Share on: