रोज़ वो ख़्वाब में आते हैं गले मिलने को By Sher << पकड़े जाते हैं फ़रिश्तों ... जंगल में टेसू फूला और बाग... >> रोज़ वो ख़्वाब में आते हैं गले मिलने को मैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है क़िस्मत मेरी Share on: