पामाल हो के भी न उठा कू-ए-यार से By Sher << बाज़ार से गुज़रे है वो बे... वो अहद-ए-जवानी वो ख़राबात... >> पामाल हो के भी न उठा कू-ए-यार से मैं उस गली में साया-ए-दीवार हो गया Share on: