बाज़ार से गुज़रे है वो बे-पर्दा कि उस को By Sher << एक दिल है कि नहीं दर्द से... पामाल हो के भी न उठा कू-ए... >> बाज़ार से गुज़रे है वो बे-पर्दा कि उस को हिन्दू का है ख़तरा न मुसलमान का डर है Share on: