पर नहीं होते ख़यालों के तो फिर By Sher << शायद वो भूली-बिसरी न हो आ... बे-ख़ुदी ले गई कहाँ हम को >> पर नहीं होते ख़यालों के तो फिर कैसे उड़ते हैं ग़ुबारा समझो Share on: