पर्दा-ए-गोश-ए-असीराँ न हुई इक शब-ए-गर्म By Sher << पाया-ए-तख़्त-ए-सुलैमाँ का... पान खाने की अदा ये है तो ... >> पर्दा-ए-गोश-ए-असीराँ न हुई इक शब-ए-गर्म पाँव किस मुर्दे का या-रब मिरी ज़ंजीर में था Share on: