पाया-ए-तख़्त-ए-सुलैमाँ का है शाएर 'मुसहफ़ी' By Sher << पेच दे दे लफ़्ज़ ओ मअनी क... पर्दा-ए-गोश-ए-असीराँ न हु... >> पाया-ए-तख़्त-ए-सुलैमाँ का है शाएर 'मुसहफ़ी' है उसी के ख़ातिम-ए-दस्त-ए-सुलैमाँ हाथ में Share on: