पाया न कुछ ख़ला के सिवा अक्स-ए-हैरती By Sher << हँस हँस के वो मुझ से ही म... ये वस्ल की रुत है कि जुदा... >> पाया न कुछ ख़ला के सिवा अक्स-ए-हैरती गुज़रा था आर-पार हज़ार आइने के साथ Share on: