पयम्बरों से ज़मीनें वफ़ा नहीं करतीं By Sher << हम वो नहीं सुनें जो बुराई... मेरे चेहरे पे ग़ज़ल लिखती... >> पयम्बरों से ज़मीनें वफ़ा नहीं करतीं हम ऐसे कौन ख़ुदा थे कि अपने घर रहते Share on: