पेड़ का दुख तो कोई पूछने वाला ही न था By Sher << पाँव जब सिमटे तो रस्ते भी... तिरे इश्क़ से जब से पाले ... >> पेड़ का दुख तो कोई पूछने वाला ही न था अपनी ही आग में जलता हुआ साया देखा Share on: