तिरे इश्क़ से जब से पाले पड़े हैं By Sher << पेड़ का दुख तो कोई पूछने ... ख़्वाब में तोड़ता रहता हू... >> तिरे इश्क़ से जब से पाले पड़े हैं हमें अपने जीने के लाले पड़े हैं Share on: