पेश-ख़ेमा हैं क़यामत का यही दो फ़ित्ने By Sher << मुझ तक कब उन की बज़्म में... इतनी बे-शर्म-ओ-हया हो गई ... >> पेश-ख़ेमा हैं क़यामत का यही दो फ़ित्ने बाढ़ पर क़द है तरक़्क़ी पे है जौबन तेरा Share on: