पी जाते हैं ज़हर-ए-ग़म-ए-हस्ती हो कि मय हो By Sher << क़लंदरी है कि रखता है दिल... पाप करो जी खोल कर धब्बों ... >> पी जाते हैं ज़हर-ए-ग़म-ए-हस्ती हो कि मय हो हम सा भी ज़माने में बला-नोश न होगा Share on: