पूछा न जाएगा जो वतन से निकल गया By Sher << तख़लीक़-ए-काएनात के दिलचस... मुझ रंग ज़र्द ऊपर ग़ुस्से... >> पूछा न जाएगा जो वतन से निकल गया बे-कार है जो दाँत दहन से निकल गया Share on: