पुर हूँ मैं शिकवे से यूँ राग से जैसे बाजा By Sher << जिस्म-ए-ख़ाकी को बनाया ला... सच पूछिए तो नाला-ए-बुलबुल... >> पुर हूँ मैं शिकवे से यूँ राग से जैसे बाजा इक ज़रा छेड़िए फिर देखिए क्या होता है Share on: