पुराने घर की शिकस्ता छतों से उकता कर By Sher << शामिल हो गर न ग़म की ख़लि... निगह-ए-नाज़ से इस चुस्त क... >> पुराने घर की शिकस्ता छतों से उकता कर नए मकान का नक़्शा बनाता रहता हूँ Share on: