पुराने ख़्वाबों से रेज़ा रेज़ा बदन हुआ है By Sher << रूह की गहराई में पाता हूँ... निकल कर आ गए हैं जंगलों म... >> पुराने ख़्वाबों से रेज़ा रेज़ा बदन हुआ है ये चाहता हूँ कि अब नया कोई ख़्वाब देखूँ Share on: