पुश्त पर क़ातिल का ख़ंजर सामने अंधा कुआँ By Sher << सताती है तुम्हारी याद जब ... हम और तुम जो बदल गए तो इत... >> पुश्त पर क़ातिल का ख़ंजर सामने अंधा कुआँ बच के जाऊँ किस तरफ़ अब रास्ता कोई नहीं Share on: