प्यास बुझ जाए ज़मीं सब्ज़ हो मंज़र धुल जाए By Sher << वक़्त रहता नहीं कहीं टिक ... हो लिए जिस के हो लिए '... >> प्यास बुझ जाए ज़मीं सब्ज़ हो मंज़र धुल जाए काम क्या क्या न इन आँखों की तिरी आए हमें Share on: