वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर By Sher << इस कश्मकश से दाम के क्या ... प्यास बुझ जाए ज़मीं सब्ज़... >> वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर आदत इस की भी आदमी सी है Share on: