'क़मर' ज़रा भी नहीं तुम को ख़ौफ़-ए-रुस्वाई By Sher << हमारे मय-कदे में हैं जो क... पड़ गई क्या निगह-ए-मस्त त... >> 'क़मर' ज़रा भी नहीं तुम को ख़ौफ़-ए-रुस्वाई चले हो चाँदनी शब में उन्हें बुलाने को Share on: