हमारे मय-कदे में हैं जो कुछ की निय्यतें ज़ाहिर By Sher << सिखला रहा हूँ दिल को मोहब... 'क़मर' ज़रा भी नह... >> हमारे मय-कदे में हैं जो कुछ की निय्यतें ज़ाहिर कब इस ख़ूबी से ऐ ज़ाहिद तिरा बैत-ए-हरम होगा Share on: