आ ऐ 'असर' मुलाज़िम-ए-सरकार-ए-गिर्या हो By Sher << आगे मिरे न ग़ैर से गो तुम... हम कई रोज़ से बे-वजह बहुत... >> आ ऐ 'असर' मुलाज़िम-ए-सरकार-ए-गिर्या हो याँ जुज़ गुहर ख़ज़ाने में तनख़्वाह ही नहीं Share on: