'नाशाद' न कोई नग़्मा है ये दर्द भरा इक नाला है By Sher << तिरी दुनिया में रह कर क्य... मिरे लिए शब-ए-महताब इक क़... >> 'नाशाद' न कोई नग़्मा है ये दर्द भरा इक नाला है क्या समझे कोई दर्द-ए-जिगर जब चोट न दिल पर खाई हो Share on: