रात दरीचे तक आ कर रुक जाती है By Sher << हाथों में नाज़ुकी से सँभल... उदासी का समुंदर देख लेना >> रात दरीचे तक आ कर रुक जाती है बंद आँखों में उस का चेहरा रहता है Share on: