रहती है शब-ओ-रोज़ में बारिश सी तिरी याद By Sher << यूँ तो अपनों सा कुछ नहीं ... अपने ख़ूँ का उन पे क्यूँ ... >> रहती है शब-ओ-रोज़ में बारिश सी तिरी याद ख़्वाबों में उतर जाती हैं घनघोर सी आँखें Share on: