रहमत अगर क़ुबूल करे क्या बईद है By Sher << जो तू ऐ 'मुसहफ़ी'... शबाब हो कि न हो हुस्न-ए-य... >> रहमत अगर क़ुबूल करे क्या बईद है शर्मिंदगी से उज़्र न करना गुनाह का Share on: