रहने दे ज़िक्र-ए-ख़म-ए-ज़ुल्फ़-ए-मुसलसल को नदीम By Sher << ज़िक्र सुनती हूँ उजाले का... वक़्त देता है जो पहचान तो... >> रहने दे ज़िक्र-ए-ख़म-ए-ज़ुल्फ़-ए-मुसलसल को नदीम उस के तो ध्यान से भी होता है दिल को उलझाओ Share on: