ज़िक्र सुनती हूँ उजाले का बहुत By Sher << क़ामत ही लिखा हम ने सदा ज... रहने दे ज़िक्र-ए-ख़म-ए-ज़... >> ज़िक्र सुनती हूँ उजाले का बहुत उस से कहना कि मिरे घर आए Share on: