रस्ते की दूकान पे रहरव एक निशानी छोड़ चला By Sher << किस से करूँ मैं अपनी तबाह... इक ज़लज़ले के शोर में सब ... >> रस्ते की दूकान पे रहरव एक निशानी छोड़ चला जिस कूज़े से प्यास बुझाई उस कूज़े को तोड़ चला Share on: