रौशनी बाँटता हूँ सरहदों के पार भी मैं By Sher << तुम्हारे वास्ते सब कुछ है... किस ज़माने की ये दुश्मन थ... >> रौशनी बाँटता हूँ सरहदों के पार भी मैं हम-वतन इस लिए ग़द्दार समझते हैं मुझे Share on: