रिश्ता-ए-उल्फ़त को ज़ालिम यूँ न बेदर्दी से तोड़ By Sher << रोने से 'ख़ाकसार'... रिहा किया भी क़फ़स से तो ... >> रिश्ता-ए-उल्फ़त को ज़ालिम यूँ न बेदर्दी से तोड़ दिल तो फिर जुड़ जाएगा लेकिन गिरह रह जाएगी do not break the ties of love with such dire disdain while the heart may be rejoined, scars will remain Share on: