रोने से 'ख़ाकसार' की सोता नहीं है कोई By Sher << रोज़ सोचा है भूल जाऊँ तुझ... रिश्ता-ए-उल्फ़त को ज़ालिम... >> रोने से 'ख़ाकसार' की सोता नहीं है कोई उस ख़ानुमाँ-ख़राब को चुपका ख़ुदा करे Share on: