रोज़ है दर्द-ए-मोहब्बत का निराला अंदाज़ By Sher << कहाँ ये बात हासिल है तिरी... तू ने ही तो चाहा था कि मि... >> रोज़ है दर्द-ए-मोहब्बत का निराला अंदाज़ रोज़ दिल में तिरी तस्वीर बदल जाती है Share on: