रोज़ मैं उस को जीत जाता था By Sher << सुब्ह सवेरे नंगे पाँव घास... पूछता फिरता हूँ गलियों मे... >> रोज़ मैं उस को जीत जाता था और वो रोज़ ख़ुद को हारती थी Share on: