सुब्ह सवेरे नंगे पाँव घास पे चलना ऐसा है By Sher << सुन क़तार अंदर क़तार अश्ज... रोज़ मैं उस को जीत जाता थ... >> सुब्ह सवेरे नंगे पाँव घास पे चलना ऐसा है जैसे बाप का पहला बोसा क़ुर्बत जैसे माओं की Share on: