रोज़ मलते हैं मुँह पर अपने भभूत By Sher << भूल जावे साहिब-ए-इक़बाल अ... वो परिंदे जो आँख रखते हैं >> रोज़ मलते हैं मुँह पर अपने भभूत इश्क़ में हम ने ले लिया बैराग Share on: