रोज़-ए-विसाल जिस को कहती है ख़ल्क़ वो ही By Sher << रुख़ से लहरा कर ज़नख़दाँ ... रेख़्ता-गोई की बुनियाद &#... >> रोज़-ए-विसाल जिस को कहती है ख़ल्क़ वो ही मज़हब में आशिक़ों के रोज़-ए-वफ़ात भी है Share on: