रुख़ से लहरा कर ज़नख़दाँ के हैं माइल मु-ए-ज़ुल्फ़ By Sher << साअत-ए-ईसवियाँ है कि मिरा... रोज़-ए-विसाल जिस को कहती ... >> रुख़ से लहरा कर ज़नख़दाँ के हैं माइल मु-ए-ज़ुल्फ़ दौड़ता है चाह की जानिब ही प्यासा धूप में Share on: