रोता है कोई किसी के ग़म में By Sher << नमी सी थी दम-ए-रुख़्सत कु... फ़ज़ा में हाथ तो उट्ठे थे... >> रोता है कोई किसी के ग़म में सब अपने ही दुख बिचारते हैं Share on: