रोए बग़ैर चारा न रोने की ताब है By Sher << शबाब नाम है उस जाँ-नवाज़ ... रंग ओ बू में डूबे रहते थे... >> रोए बग़ैर चारा न रोने की ताब है क्या चीज़ उफ़ ये कैफ़ियत-ए-इज़्तिराब है Share on: