रंग ओ बू में डूबे रहते थे हवास By Sher << रोए बग़ैर चारा न रोने की ... रगों में दौड़ती हैं बिजलि... >> रंग ओ बू में डूबे रहते थे हवास हाए क्या शय थी बहार-ए-आरज़ू Share on: